छत्तीसगढ़

नेशनल लोक अदालत में 633 लंबित मामलों का निराकरण

Publish Date: | Sun, 12 Dec 2021 12:07 AM (IST)

महासमुंद। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश, भीष्म प्रसाद पांडेय, के कुशल मार्गदर्शन एवं नेतृत्व के अधीन 11 दिसंबर को जिला न्यायालय महासमुंद एवं तहसील पिथौरा, सरायपाली स्थित सिविल न्यायालयों में कुल 13 खंडपीठों का गठन कर नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। नेशनल लोक अदालत की उक्त सभी खंडपीठों में श्रमिक विवाद, बैंक रिकवरी प्रकरण, विद्युत एवं देयकों के अवशेष बकाया की वसूली और राजीनामा योग्य अन्य मामले के बकाया की वसूली संबंधी प्री-लिटिगेशन मामले, राजस्व न्यायालयों से संबंधित प्रकरण सुनवाई हेतु रखे गए थे। उक्त मामलों के अलावा राजीनामा योग्य दांडिक प्रकरण, परक्राम्य लिखत अधिनियम के अधीन परिवाद पर संस्थित मामले, मोटर दुर्घटना दावा संबंधी मामले तथा विद्युत अधिनियम के तहत विद्युत चोरी के मामले, सिविल मामले भी नियत किए गए थे। उक्त खंडपीठों में उपरोक्त सभी मामलों की सुनवाई करते हुए जिला महासमुंद स्थित विभिन्ना न्यायालयों में प्री-लिटिगेशन एवं राजस्व न्यायालयों के कुल 36,194 प्रकरणों में सुनवाई बाद सुलह एवं समझौता के आधार पर कुल 29,176 प्रकरणों का तथा न्यायालयों में लंबित सिविल वाद, दांडिक मामलों, मोटर दुर्घटना दावा इत्यादि के कुल 1,186 मामलों में सुनवाई बाद सुलह एवं समझौता के आधार पर 633 मामलों का निराकरण किया गया और उनमें रुपये 51,35,47,920 रुपये के आवार्ड पारित किए गए। विदित हो कि 11 दिसम्बर को पूरे देश भर में उच्चतम न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में एक साथ हाइब्रिड नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था, जिसके आयोजन के लिए विगत कई माह से अनवरत तैयारी की जा रही थी और पक्षकारों को नियत सुनवाई दिनांक के पूर्व राजीनामा हेतु नोटिस भेजकर कर प्री-सीटिंग कर राजीनामा करने हेतु प्रोत्साहित किया गया था।नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन में महासममुंद अधिवक्तागण एवं न्यायालय के कर्मचारियों का अभूतपूर्व सहयोग रहा। इसी प्रकार मोटरयान दावा के कुल 42 प्रकरणों में चार करोड़ 52 लाख, 60 हजार रूपये के अवार्ड पारित किए गए जिससे दुर्घटना में मृत एवं घायल व्यक्तियों एवं उनके स्वजनों को राहत प्राप्त हुई। –पति-पत्नी साथ रहने हुए राजीदंपती के मध्य राजीनामा होने से दोनों साथ रहने को तैयार हुए। कुटुम्ब न्यायालय में लंबित प्रकरण जिसमें पति-पत्नि के मध्य विवाद होने के कारण मामला न्यायालय में चल रहा था और दोनों तलाक लेना चाहते थे। उक्त प्रकरण लोक अदालत में रखा गया। जहां प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय रामजीवन देवांगन एवं सुलहकर्ता सदस्य द्वारा समझाईश दिएजाने पर दोनों अपना अपना विवाद समाप्त कर विवाह के पुर्नस्थापन हेतु तैयार हुए।विधवा एवं अनाथ को मिली क्षतिपूर्ति राशिन्यायालय के समक्ष मोटर दुर्घटना में मृत व्यक्ति की विधवा पत्नी एवं अनाथ का मामला लंबित था, जो अपने पति,पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक तंगी में थे। लोक अदालत के पूर्व जिला न्यायाधीश द्वारा प्री-सिंटिंग किए जाने एवं बीमा कंपनी के प्रतिनिधि को समझाईश दिए जाने के उपरांत उन्हें क्षतिपूर्ति राशि का अवार्ड प्राप्त हुआ। लोक अदालत मेंप्रकरण का निराकरण होने के कारण उक्त अवार्ड के विरुद्ध बीमा कंपनी के द्वारा अपील नहीं की जा सकती, जिसके फलस्वरूप अब पीड़ितगण को न्यायालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे तथा प्राप्त क्षतिपूर्ति राशि से वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे।

Posted By: Nai Dunia News Network

 

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